एक सच्ची कहानी

 


एक सच्ची कहानी


1. 'सांई' शब्द फ़ारसी का है जिसका अर्थ होता है संत। उस काल में आमतौर पर मुस्लिम संन्यासियों के लिए इस शब्द का प्रयोग होता था। शिर्डी में सांई सबसे पहले जिस मंदिर के बाहर आकर रुके थे उसके पुजारी ने उन्हें सांई कहकर ही संबोधित किया था। मंदिर के पुजारी को वे मुस्लिम फकीर ही नजर आए तभी तो उन्होंने उन्हें सांई कहकर पुकारा।

2. सांई ने यह कभी नहीं कहा कि 'सबका मालिक एक'। सांई सच्चरित के अध्याय 4, 5, 7 में इस बात का उल्लेख है कि वे जीवनभर सिर्फ 'अल्लाह मालिक है' यही बोलते रहे। कुछ लोगों ने उनको हिन्दू संत बनाने के लिए यह झूठ प्रचारित किया कि वे 'सबका मालिक एक है' भी बोलते थे।

3. कोई हिन्दू संत सिर पर कफन जैसा नहीं बांधता, ऐसा सिर्फ मुस्लिम फकीर ही बांधते हैं। जो पहनावा सांई का था वह एक मुस्लिम फकीर का ही हो सकता है।

4. सांई बाबा ने रहने के लिए मस्जिद का ही चयन क्यों किया? वहां और भी स्थान थे, लेकिन वे जिंदगीभर मस्जिद में ही रहे।

5. सांई सच्चरित के अनुसार सांई बाबा पूजा-पाठ, ध्यान, प्राणायाम और योग के बारे में लोगों से कहते थे कि इसे करने की कोई जरूरत नहीं है। उनके इस प्रवचन से पता चलता है कि वे हिन्दू धर्म विरोधी थे।

6. मस्जिद से बर्तन मंगवाकर वे मौलवी से फातिहा पढ़ने के लिए कहते थे। इसके बाद ही भोजन की शुरुआत होती थी।

7. सांई को सभी यवन मानते थे। वे हिन्दुस्तान के नहीं, अफगानिस्तान के थे इसीलिए लोग उन्हें यवन का मुसलमान कहते थे। उनकी कद-काठी और डील-डोल यवनी ही था। सांई सच्चरित अनुसार एक बार सांई ने इसका जिक्र भी किया था। जोभी लोग उनसे मिलने जाते थे उन्हें मुस्लिम फकीर ही मानते थे, लेकिन उनके सिर पर लगे चंदन को देखकर लोग भ्रमित हो जाते थे।

8. ठंड से बचने के लिए बाबा धूनी में आग जलाते थे। उनके इस आग जलाने को लोगों ने धूनी रमाना माना।